उस पल

यह गीत मैंने  2005 में लिखा था अपने एक senior and also like a big brother Mr.Dipin Mathew Sir के कहने पर..
और यह मेरा लिखा पहला गीत है जिसे उन्होंने संगीतबद्ध किया था....
Dipin Sir की जादुई आवाज़ ने इस गीत को एक अलग ही पहचान दे दिया था ...
और फिर year 2006-07 में इसी गीत को  Mahesh S. Paniker ने एक नए संगीत में ढालकर TRYTONE BAND की शुरुवात की ....



उस पल अकेला रह गया मै,शिकवा खुद ही कर गया मै
आज जाना  क्या होती तन्हाई, 
उस पल जो तेरी याद आई..
उस पल अकेला रह गया मै ......

ये सहर.....अकेला सह गया मै 
टूट के जब फिर....रह  गया मै.....
हर मोड़ पे...तेरी परछाई.....
उस पल जो तेरी याद आई..
उस पल जो तेरी याद आई..

उस पल अकेला रह गया मै ......

ये दर्द.... अकेला जी रहा मै...
ज़ख्मो  को फिर .... सी रहा मै...
ये आँखे ... फिर से भर आई..
उस पल जो तेरी याद आई..
उस पल जो तेरी याद आई..

उस पल अकेला रह गया मै ......

ये राह... अकेला चल दिया मै..
सभी से यु..दूर हो लिया मै..
तब साथ निभाने ...तुम आई...
उस पल जो तेरी याद आई. ..
उस पल जो तेरी याद आई..

उस पल अकेला रह गया मै...................
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