चाँद

आज पूछुंगा 
आसमान से 
क्यों चाँद को तुने पनाह दी 
की अक्स दरिया में दिखा कर 
उसने लहरों को आवाज़ दी 
उस चाँद को पाने के लिए 
लहरे झूम कर चलती है
और टकराकर किनारों से 
अपने ही अरमानो में ढलती है 
देख लहरों की नादानी 
रात भी आहे भारती है
और उसकी ये दीवानगी 
चांदनी को भी दीवाना करती है
ए आसमान 
क्या तुझसे
 लहरों का ये दर्द देखा जाता  है ?
गर नहीं ...
तो 
या लौटा दो लहरों चाँद उनका ...
या 
हर रात अमावास रहने दो....

इंतज़ार

गुजरती रही उम्र तमाम ,पल भर की मोहब्बत  को 
कुछ सांस और है बाकी, कुछ और इंतज़ार कर लेना...

कभी जो वक़्त मिले ,इस जहाँ के फर्जो - करम से 
दो घडी ही सही,ज़रा गौर कर लेना..
यु ही चंद लम्हे बचा रखे है तुम्हारे ही लिए,
जब फुर्सत हो, हसरत से प्यार कर लेना..

बाते तो बहुत सी है कहने को तुमसे,
जुबां - बेजान है , निगाहों से अलफ़ाज़ असर कर लेना..
कुछ अधूरी ख्वाहिशे है इन निगाहों में,
बस भूल कर हकीक़त को तुम , एक ख्वाब ज़हन कर लेना..

यु तो गम हमने भी छुपा रखे है सीने में कई 
तुम भी तन्हाई में कभी, अपने अश्क नज़र कर लेना ,
माना की गुनाहगार हूँ मै, पर पाक मोहब्बत है 
मुझ पर ना सही मेरी मोहब्बत पे, ऐतबार कर लेना..

हँसी के नक़ाबो में उदासी को छुपा लेते है
मेरी यादें भी हस के , दिल में ही दफ़न कर लेना,
इत्तेफाक है अब तेरे हर इलज़ाम से मुझे
अब संगे- नश्तर चाहे सीने के पार कर लेना..

यु ही किसी फ़साने में कभी कुछ  जज़्बात  नाम रखा था,
जब उठे दर्द वो कहानी,वो जज़्बात याद कर लेना...
कुछ सांस और है बाकी, कुछ और इंतज़ार कर लेना..
  कुछ और इंतज़ार कर लेना..

सवाल

ज़िन्दगी भी कितनी अजीब है..
ना जाने कितने सवाल उठाती है 
हम जवाब ढूंढते  रहते है ताउम्र ...
हासिल कुछ होता नहीं..
औरये ज़िन्दगी
गुजर जाती है ....
जब तक रहता है 
साथ इन साँसों का ...
ना जाने कितने ख्वाब सजाती है...
कुछ टूटकर बिखर जाते है 
कुछ जीने का विश्वास दिलाती है 
और एक दिन
ये साँसे थम जाती है...
कभी पूछ लेती है 
कुछ अनकहे  किस्से 
तो कभी 
ख़ामोशी से कुछ कह जाती है..
ये ज़िन्दगी भी कितनी अजीब है ..
ना जाने कितने सवाल उठाती है...
जब कभी महसूस करता हु
तन्हा-तन्हा सा खुद को 
धीमे से सहलाकर 
एक अनजाना  एहसास जगाती है 
जब हार कर 
इन उलझे पगडंडियों में 
ठोकर खाता फिरता हु..
तो थामकर हाथ मेरा..
एक नयी राह दिखाती है..
मै तो ठीक से संभल भी नहीं पाता...
और वो राह ख़त्म हो जाती है ...
ये ज़िन्दगी भी कितनी अजीब है ..
ना जाने कितने सवाल उठती है...
क्यों करती  है वो हमसे ऐसे 
बेरहम मज़ाक 
की एक पल को हँसाकर ,
ताउम्र रुलाती है 
एक एक पल की ख़ुशी में छुपाकर 
ढेरो आंसू दे जाती है 
अब तो इन आंसुओ की भी आदत हो गयी 
ना जाने कब ...
इन आंसुओ को नींद आती है 
ये ज़िन्दगी भी कितनी अजीब है ..
ना जाने कितने सवाल उठाती है...



ये ज़िन्दगी

ये ज़िन्दगी एक पल में, 
बदल जाएगी...
इस पल को तुम ,
खोने न दो..
इस पल में ही बसी है 
हर ख़ुशी 
इसे खुद से जुदा तुम..
होने ना दो....
आज भूल जाओ तुम 
हर दर्द अपना 
पल भर को तो 
ज़रा मुस्कुरा लेने दो,
आज इंतज़ार है 
पलकों के भीगने का..
इन आंसुओ को ज़रा..
चुरा लेने दो 
आज रोकना ना हमे 
कुछ कहने से
हर गम को ज़रा
बिखर जाने दो,
आज खामोश नज़रे भी बोलेंगी 
इन लबो को ज़रा
जल जाने दो 
ये ज़िन्दगी एक पल में, 
बदल जाएगी...
इस पल को तुम ,
खोने न दो....
Jijoe Mathew..."Jazbaat". Powered by Blogger.