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बहना मेरी

बहना मेरी ,बहना मेरी, मेरी नन्ही परी ...

मांगता हूँ हर पल बस 
तेरी एक हँसी, 
चाहता हु तो बस,
खुशियाँ तेरी...
मेरी ज़िन्दगी है तू, बहना मेरी...
मेरी नन्ही परी...

तेरी एक जिद जो मासूम सी 
मै कैसे ना पूरा करूँ 
कह दे जो तू, तेरी चाहत है क्या
सितारों से तेरा दामन भरूँ..
तेरी ख़ुशी ही , खुशियाँ है मेरी 
बस इसके सिवा, कुछ भी नहीं..
बहना मेरी, मेरी नन्ही परी ...

तेरी हर शरारत, मन में बसी है 
प्यार छुपा है , बातों में तेरी 
तेरे प्यार के धागों से बनी ये 
मेरी कलाई पे बंधी राखी तेरी 
सच कहूँ तो बस यही दौलत है मेरी
तेरे प्यार से बढकर कुछ भी नहीं 
बहना मेरी, मेरी नन्ही परी ...

सजकर लाल जोड़े में एक दिन
होगी जब विदाई तेरी 
आंसू ख़ुशी के होंगे आँखों में 
और देगी दुआए हर धकन मेरी 
बस तेरे लिए ही जीता हु मई 
और तेरे सिवा कुछ भी नहीं 
बहना मेरी, मेरी नन्ही परी ...

मेरी ज़िन्दगी है तू, 
बहना मेरी...मेरी नन्ही परी...

Hostel Life contd...

This is a clip from EMOFES-07 . where Me and Saumya Harsh were anchoring the Hindi section of the function...
despite the storm destroyed almost every thing we made a marvelous evening...
this was few lines in which  we described the Hostel Life..


ख्याल

आज ना जाने क्यूँ ,फिर ये ख्याल आया 
की तेरे लबो पर भी मेरा ही नाम होगा 

वो कोरा कागज़ हाथ में ,दिल में पर शिकायत क्यूँ है 
साँसों में तुम हो बसी, फिर होठों पे शायद क्यूँ है 
इस शायद में भी , कही पे तेरा प्यार होगा 
आज ना जाने क्यूँ....

इन यादो में तुम्ही हो, ये तेरा दीवाना क्यूँ है 
चोट तो हमे थी लगी , पर दर्द तुम्हारा क्यूँ है 
इस दर्द में भी , मुस्कान मेरा हर बार होगा 
आज ना जाने क्यूँ....

तेरे मासूम चेहरे पर , गम की शिकन क्यूँ है 
दिल मेरा था टूटा, पर आँखें तुम्हारी नम क्यूँ है
इन आंसुओ पर भी, मेरा ही अधिकार होगा 
आज ना जाने क्यूँ.... 

ना जाने ये ख्याल इस दिल में , ठहरता क्यूँ है
मेरी नादान सी चाहत पर , वो यु हँसता क्यूँ है 
इसी हसी के साथ , हँसता ये संसार होगा 
आज ना जाने क्यूँ,फिर ये ख्याल आया 
की तेरे लबो पर भी मेरा ही नाम होगा 

चलना है

This is the most loved song of TRYTONE BAND, and also the first ever Rock song...
but i just wrote it coz  MSP requested me for this song...


( Image By: Andreas Andrews)

चलना है ...चलना है ....चलना है ...चलना है 

चलना है, चलना है...
चलते है जाना है 
एक दिन तो मंजिल को 
पाकर दिखाना है...
चलना है ....

अपनी तो ज़िन्दगी यही 
ऐसे ही जियेंगे हम 
दिल में जो भी आएगा 
अब वही करेंगे हम 
रास्ता हमने पा लिया है 
अब तो बस चलते जाना है 
एक दिन तो मंजिल को पाकर दिखाना है 
चलना है ...चलना है 

अपना पूरा जोर लगा लो 
अब ना डरेंगे हम 
जितनी तुम दीवार उठा लो 
रोके ना रुकेंगे हम 
साथी हमने पा लिया है 
अब तो बस चलते जाना है 
एक दिन तो मंजिल को पाकर दिखाना है 
चलना है ...चलना है ...



Hostel Life

यह गीत मैंने अपने Engineering Hostel में लिखा था, Hostel की सबसे यादगार शाम EMOFES ( Hostel Day) के दिन ....सचमुच those were the best days of my life 

ये Life है Hostel की 
ये है अपनी Hostel Life

यहाँ की Life में ,कुछ ऐसी बात है 
यारो का यहाँ, हमेशा साथ है 
यहाँ पर ज़िन्दगी, कितनी हसीन
थोड़ी सी मीठी, थोड़ी नमकीन 

ये Life है Hostel की 
ये है अपनी Hostel Life

सुबह हम नहाते, भीड़ लगाकर 
दरवाजे पीटते , है गाने गाकर 
ना कपड़ो का है होश, ना कभी साफ़ मोज़े 
आती क़यामत है, जब shirt हम खोजे 
यु ही मस्ती भरी, होती है सुबह 
जीने ज़िन्दगी, चले मेरे यार 

ये Life है Hostel की 
ये है अपनी Hostel Life

आते जब Exams , याद आती नानी 
बनती है library में रोज़ नयी कहानी 
करते exchange notes , गुजरता है exam 
Results का इंतज़ार, बस होता है काम 
किसी को बधाई, कही पे दिलासा 
आज उदासी, फिर है बहार 

ये Life है Hostel की 
ये है अपनी Hostel Life

जब सोता है, सारा जमाना 
हम जागते है सारी रात 
वो सोती रातों, की मीठी बातें 
वो छुपकर सबसे होती मुलाकातें 
यु ही पल भर में , कट जाती है रात 
आती सुबह फिर, नयी मेरे यार 

ये Life है Hostel की 
ये है अपनी Hostel Life

चार लम्हों का साथ हमारा 
छूटेगा न कभी, ये Life सारा 
वो welcome की खुशियाँ ,वो Farewell के आंसू 
याद है मुझको  अब भी, हर एक नाम 
EMOFES  की मस्ती भरी, ये शाम 
फिर से जीने को, जी करे यार 

ये Life है Hostel की 
ये है अपनी Hostel Life

चाँद

आज पूछुंगा 
आसमान से 
क्यों चाँद को तुने पनाह दी 
की अक्स दरिया में दिखा कर 
उसने लहरों को आवाज़ दी 
उस चाँद को पाने के लिए 
लहरे झूम कर चलती है
और टकराकर किनारों से 
अपने ही अरमानो में ढलती है 
देख लहरों की नादानी 
रात भी आहे भारती है
और उसकी ये दीवानगी 
चांदनी को भी दीवाना करती है
ए आसमान 
क्या तुझसे
 लहरों का ये दर्द देखा जाता  है ?
गर नहीं ...
तो 
या लौटा दो लहरों चाँद उनका ...
या 
हर रात अमावास रहने दो....

इंतज़ार

गुजरती रही उम्र तमाम ,पल भर की मोहब्बत  को 
कुछ सांस और है बाकी, कुछ और इंतज़ार कर लेना...

कभी जो वक़्त मिले ,इस जहाँ के फर्जो - करम से 
दो घडी ही सही,ज़रा गौर कर लेना..
यु ही चंद लम्हे बचा रखे है तुम्हारे ही लिए,
जब फुर्सत हो, हसरत से प्यार कर लेना..

बाते तो बहुत सी है कहने को तुमसे,
जुबां - बेजान है , निगाहों से अलफ़ाज़ असर कर लेना..
कुछ अधूरी ख्वाहिशे है इन निगाहों में,
बस भूल कर हकीक़त को तुम , एक ख्वाब ज़हन कर लेना..

यु तो गम हमने भी छुपा रखे है सीने में कई 
तुम भी तन्हाई में कभी, अपने अश्क नज़र कर लेना ,
माना की गुनाहगार हूँ मै, पर पाक मोहब्बत है 
मुझ पर ना सही मेरी मोहब्बत पे, ऐतबार कर लेना..

हँसी के नक़ाबो में उदासी को छुपा लेते है
मेरी यादें भी हस के , दिल में ही दफ़न कर लेना,
इत्तेफाक है अब तेरे हर इलज़ाम से मुझे
अब संगे- नश्तर चाहे सीने के पार कर लेना..

यु ही किसी फ़साने में कभी कुछ  जज़्बात  नाम रखा था,
जब उठे दर्द वो कहानी,वो जज़्बात याद कर लेना...
कुछ सांस और है बाकी, कुछ और इंतज़ार कर लेना..
  कुछ और इंतज़ार कर लेना..

सवाल

ज़िन्दगी भी कितनी अजीब है..
ना जाने कितने सवाल उठाती है 
हम जवाब ढूंढते  रहते है ताउम्र ...
हासिल कुछ होता नहीं..
औरये ज़िन्दगी
गुजर जाती है ....
जब तक रहता है 
साथ इन साँसों का ...
ना जाने कितने ख्वाब सजाती है...
कुछ टूटकर बिखर जाते है 
कुछ जीने का विश्वास दिलाती है 
और एक दिन
ये साँसे थम जाती है...
कभी पूछ लेती है 
कुछ अनकहे  किस्से 
तो कभी 
ख़ामोशी से कुछ कह जाती है..
ये ज़िन्दगी भी कितनी अजीब है ..
ना जाने कितने सवाल उठाती है...
जब कभी महसूस करता हु
तन्हा-तन्हा सा खुद को 
धीमे से सहलाकर 
एक अनजाना  एहसास जगाती है 
जब हार कर 
इन उलझे पगडंडियों में 
ठोकर खाता फिरता हु..
तो थामकर हाथ मेरा..
एक नयी राह दिखाती है..
मै तो ठीक से संभल भी नहीं पाता...
और वो राह ख़त्म हो जाती है ...
ये ज़िन्दगी भी कितनी अजीब है ..
ना जाने कितने सवाल उठती है...
क्यों करती  है वो हमसे ऐसे 
बेरहम मज़ाक 
की एक पल को हँसाकर ,
ताउम्र रुलाती है 
एक एक पल की ख़ुशी में छुपाकर 
ढेरो आंसू दे जाती है 
अब तो इन आंसुओ की भी आदत हो गयी 
ना जाने कब ...
इन आंसुओ को नींद आती है 
ये ज़िन्दगी भी कितनी अजीब है ..
ना जाने कितने सवाल उठाती है...



ये ज़िन्दगी

ये ज़िन्दगी एक पल में, 
बदल जाएगी...
इस पल को तुम ,
खोने न दो..
इस पल में ही बसी है 
हर ख़ुशी 
इसे खुद से जुदा तुम..
होने ना दो....
आज भूल जाओ तुम 
हर दर्द अपना 
पल भर को तो 
ज़रा मुस्कुरा लेने दो,
आज इंतज़ार है 
पलकों के भीगने का..
इन आंसुओ को ज़रा..
चुरा लेने दो 
आज रोकना ना हमे 
कुछ कहने से
हर गम को ज़रा
बिखर जाने दो,
आज खामोश नज़रे भी बोलेंगी 
इन लबो को ज़रा
जल जाने दो 
ये ज़िन्दगी एक पल में, 
बदल जाएगी...
इस पल को तुम ,
खोने न दो....

उस पल

यह गीत मैंने  2005 में लिखा था अपने एक senior and also like a big brother Mr.Dipin Mathew Sir के कहने पर..
और यह मेरा लिखा पहला गीत है जिसे उन्होंने संगीतबद्ध किया था....
Dipin Sir की जादुई आवाज़ ने इस गीत को एक अलग ही पहचान दे दिया था ...
और फिर year 2006-07 में इसी गीत को  Mahesh S. Paniker ने एक नए संगीत में ढालकर TRYTONE BAND की शुरुवात की ....



उस पल अकेला रह गया मै,शिकवा खुद ही कर गया मै
आज जाना  क्या होती तन्हाई, 
उस पल जो तेरी याद आई..
उस पल अकेला रह गया मै ......

ये सहर.....अकेला सह गया मै 
टूट के जब फिर....रह  गया मै.....
हर मोड़ पे...तेरी परछाई.....
उस पल जो तेरी याद आई..
उस पल जो तेरी याद आई..

उस पल अकेला रह गया मै ......

ये दर्द.... अकेला जी रहा मै...
ज़ख्मो  को फिर .... सी रहा मै...
ये आँखे ... फिर से भर आई..
उस पल जो तेरी याद आई..
उस पल जो तेरी याद आई..

उस पल अकेला रह गया मै ......

ये राह... अकेला चल दिया मै..
सभी से यु..दूर हो लिया मै..
तब साथ निभाने ...तुम आई...
उस पल जो तेरी याद आई. ..
उस पल जो तेरी याद आई..

उस पल अकेला रह गया मै...................

बस तुम हो


जुबाँ तक आकर कई बार लौटी वो बात ,
इस खामोश दिल की वो आवाज़ तुम हो
यु कहना तो बहुत कुछ था तुमसे ,
पर अब लगता है इस जुबां की अलफ़ाज़ तुम हो

हर पल रहता था ज़हन में ख्याल तुम्हारा ,
कैसे कहू तुमसे ,
बेखयाली में दिल से निकला वो ख्याल तुम हो

कुछ कमी सी थी ज़िन्दगी में अब तक
अब महसूस हुआ ,
मेरे जिस्म की खोई परछाई तुम हो ..

हर रोज़ आईने में,
कुछ अलग सा पता हू खुद को ,
आज जाना ,
मेरे रूह में बसी वो "जज़्बात" तुम हो ||

बहुत कुछ अब भी बाकी है

कहने को तो बात हो गयी उनसे
पर बहुत कुछ कहना अब भी बाकी है


उनके चले जाने से अधूरे रह गए
कुछ आरज़ू
साथ बारिश में भीगने की,
एक कप कॉफ़ी साथ पीने की,
कुछ रंग हवा में उड़ाने की ,
भीगे घास पर नंगे पैर चलने की,
और चलते चलते कही दूर निकल जाने की
ऐसे ही ना जाने कितनी ही आरज़ू अब भी बाकी है


अब भी मेरे बक्से में
कुछ यादे छुपी बैठी है
कुछ ख़त है जो कभी उन तक पहुच ना सके
कुछ तस्वीरे जो ,अब भी बोल पड़ती है
एक डायरी जिसमे ना जाने कितने ही गुलाब दबे रखे है
और तुम्हारी वो पायल , जो शायद तुमने जान कर छोड़ा था
और ऐसे ही ना जाने कितनी यादें अब भी बाकी है


कितने ही बरसो से
दिल के किसी कोने में
कुछ अहसास है ,
कुछ वादें है ,जो तुमसे किये थे
कुछ वक़्त साथ बिताने का
दुनिया की हर ख़ुशी से ,
तुम्हे सजाने का
तुम्हारा साथ निभाने का
ऐसे ही ना जाने कितने वादें अब भी बाकी है


यूं तो बहुत कुछ पाया तुमसे
पर कुछ जज़्बात अब भी बाकी है
कहने को तो बात हो गयी उनसे
पर बहुत कुछ कहना अब भी बाकी है

आप चले जायेंगे

इन पंक्तियों के द्वारा मैंने अपने seniors के farewell में उनके साथ बिताये लम्हों, उनके प्यार और उनका अपनापन के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने की कोशिश की थी...






"आप चले जायेंगे
पर थोडा सा यहाँ भी रह जायेंगे...
जैसे रह जाती है,
पहली बारिश के बाद;
हवा में धरती की सौंधी सी गंध


आप चले जायेंगे ,
पर थोड़ी सी हसी ,
आँखों की थोड़ी सी चमक,
आपके उदगार यहाँ रह जायेंगे


आप चले जायेंगे,
पर हमारे पास रह जाएगी,
प्रार्थना की तरह पवित्र
आपकी उपस्थिति ,
और ह्रदय में बसी
आपकी स्मृति......"

ना जाने क्या सोच कर ....



हम तो बस दिल की सुनकर
ऐसे ही जीते रहे
और लोग ना जाने क्या सोच कर
दीवाना कहते रहे ...

सब कुछ लुटा कर हम
फकत ही मरते रहे
और लोग ना जाने क्या सोच कर
हमसे जलते रहे ...

रास्ते तो मालुम ना थे
हम तो बस यु ही ठहरे रहे
और लोग ना जाने क्या सोच कर
उसे ही मंजिल कहते रहे ...

दर्द जब सह ना सके
चेहरे पे शिकन बनते रहे
और लोग ना जाने क्या सोच कर
उसे मुस्कराहट समझते रहे ...

दिल के टूटते जज़्बात
अल्फाजो में बदलते रहे
और लोग ना जाने क्या सोच कर
तारीफ़ करते रहे ...

ख्वाहिश

बस एक मेरी परछाई ही बाकी है मुझमे ,
अब कुछ और पाने की मुझसे ;ख्वाहिश ना करना

वक़्त के हाथो रुसवा हुए इस कदर ,
की शीशे से रूबरू होना ; क़यामत लगता है
गर यही हासिल है मेरी शराफत का
अब और शराफत की मुझसे ; ख्वाहिश ना करना

इश्क के तूफ़ान में डूबे थे इस कदर
सोचता हु तो एक फ़साना लगता है
बहुत सह लिया दर्द मोहब्बत का
अब फिर मोहब्बत की मुझसे ; ख्वाहिश ना करना

जाने कैसे जी रहा हु अब तक
जो दिल में उनका ख्याल रहता है
उम्र भर इन्तेजार किया जिस मुलाक़ात का
ए जज़्बात अब उस मुलाकात की ; ख्वाहिश ना करना

बस एक मेरी परछाई ही बाकी है मुझमे ,
अब कुछ और पाने की मुझसे ;ख्वाहिश ना करना

सामना


आहिस्ते से एक दिन ; की ना जाने कैसे ,
फिर सामने आ पंहुचा वो .....

ना जाने कब से चुप -चुप कर
पीछा करता रहा था मेरा
कभी कभी दिख भी जाया करता था
किसी मोड़ के पीछे
मै तो नज़र -अंदाज करता आया था उसे हमेशा
की ना जाने कैसे ,
फिर सामने आ पंहुचा वो ......

मुद्दतो से मुझ पर नज़र रखे था वो
पर मेरी निगाह का मरकज न बन सका
मेरे हर गुनाह की उसे थी खबर
और मै सोचता था कही कोई राजदाँ बाकी नहीं
यही सोच ,गुजर करता रहा मै
की ना जाने कैसे ,
फिर सामने आ पंहुचा वो ......

अब तक सर उठा कर चलता था जिस गली
आज वहीँ पशेमा हो गया
मुख्तासिर सा ही हुआ सामना उस से
की अहसास तब हुआ
जिस जज़्बात को मैंने ही दफ़न किया था
खाख से उठ कर
की ना जाने कैसे ,
फिर सामने आ पंहुचा वो ......
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