सवाल

ज़िन्दगी भी कितनी अजीब है..
ना जाने कितने सवाल उठाती है 
हम जवाब ढूंढते  रहते है ताउम्र ...
हासिल कुछ होता नहीं..
औरये ज़िन्दगी
गुजर जाती है ....
जब तक रहता है 
साथ इन साँसों का ...
ना जाने कितने ख्वाब सजाती है...
कुछ टूटकर बिखर जाते है 
कुछ जीने का विश्वास दिलाती है 
और एक दिन
ये साँसे थम जाती है...
कभी पूछ लेती है 
कुछ अनकहे  किस्से 
तो कभी 
ख़ामोशी से कुछ कह जाती है..
ये ज़िन्दगी भी कितनी अजीब है ..
ना जाने कितने सवाल उठाती है...
जब कभी महसूस करता हु
तन्हा-तन्हा सा खुद को 
धीमे से सहलाकर 
एक अनजाना  एहसास जगाती है 
जब हार कर 
इन उलझे पगडंडियों में 
ठोकर खाता फिरता हु..
तो थामकर हाथ मेरा..
एक नयी राह दिखाती है..
मै तो ठीक से संभल भी नहीं पाता...
और वो राह ख़त्म हो जाती है ...
ये ज़िन्दगी भी कितनी अजीब है ..
ना जाने कितने सवाल उठती है...
क्यों करती  है वो हमसे ऐसे 
बेरहम मज़ाक 
की एक पल को हँसाकर ,
ताउम्र रुलाती है 
एक एक पल की ख़ुशी में छुपाकर 
ढेरो आंसू दे जाती है 
अब तो इन आंसुओ की भी आदत हो गयी 
ना जाने कब ...
इन आंसुओ को नींद आती है 
ये ज़िन्दगी भी कितनी अजीब है ..
ना जाने कितने सवाल उठाती है...



1 comment:

Unknown said...

wah kya baat kahi...

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Jijoe Mathew..."Jazbaat". Powered by Blogger.