मोहब्बत

खफा है जो, हमसे
वो मोहब्बत है, हमारी
खताओं की मेरी
उनको न इल्ज़ाम दीजिएगा

है अब भी इंतजार
उन्हें हमारा
मगर मेरी मोहब्बत का
उनको ना पैगाम दीजिएगा

खुश रहे रुसवाई से अपनी
वो मोहब्बत है हमारी
तन्हाईयों में मेरी
उनको ना बदनाम कीजियेगा

गर तन्हा मिट भी जाऊँ
हर पल याद में उनके
कफन भी मेरा
उनके ना नाम कीजियेगा

वो मोहब्बत है हमारी
उनको ना इल्ज़ाम दीजिएगा ।।

3 comments:

Beautiful mohabbat said...

बहुत खूबसूरत है... आपकी मोहब्बत❤😘 कविता!

Beautiful mohabbat said...

Nice 👍

Wedding Planner said...

Nice . Loved It
Regards
Wedding Planners

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