जुबाँ तक आकर कई बार लौटी वो बात ,
इस खामोश दिल की वो आवाज़ तुम हो
यु कहना तो बहुत कुछ था तुमसे ,
पर अब लगता है इस जुबां की अलफ़ाज़ तुम हो
हर पल रहता था ज़हन में ख्याल तुम्हारा ,
कैसे कहू तुमसे ,
बेखयाली में दिल से निकला वो ख्याल तुम हो
कुछ कमी सी थी ज़िन्दगी में अब तक
अब महसूस हुआ ,
मेरे जिस्म की खोई परछाई तुम हो ..
हर रोज़ आईने में,
कुछ अलग सा पता हू खुद को ,
आज जाना ,
मेरे रूह में बसी वो "जज़्बात" तुम हो ||
8 comments:
Jijoe, that's simply awesome;
I'm short of words to praise the beauty of these line...
Keep writing; I'll be waiting for your next post.
thank You..
Shortest Best Peom. Din ba din teri lekhaki khilti jaa rahi hai jijoe. And as Kashish Sir said... This Simply Awesome.
wah... kya "Jazbaat" hain sirji :)
Jiyo lambu bhai ek number mere bhai.........
Awsome Kawardha.. Just Awsome... Kepp it up :)
Awsome Kawardha.. Just Awsome... Kepp it up :)
Kyaa baat kyaa baat
Grand salute for u..
:-P
Post a Comment